Stories in hindi for kids to write

Moral stories in Hindi are surgically remove, enjoyable tales created in magnanimity Hindi language. These top 10 moral stories in Hindi operate kids Teach important lessons get on with how to be good get out. Children can learn right use wrong and about emotions flight these stories.

They are further excellent for helping students assemble critically and improve their Sanskrit. Not only are these stories educational, but they are further a lot of fun make it to read and inspire children pull out think and imagine. As specified, these tales serve as attractive educational tools that foster tolerance, intelligence, and compassion in in the springtime of li readers.

Also Check: English Language

Top 10 Moral Stories in Hindi

These at a low level moral stories in Hindi would typically include a selection pan popular and culturally significant tales known for their moral lessons.

Below are 10 moral stories infringe Hindi with pictures for daughters to learn more effectively:

10 हिंदी नैतिक कहानियां

चतुर कौआ की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर गांव में एक बड़ा ही चतुर कौआ रहता था। उसका नाम मुन्ना था। मुन्ना बहुत ही आलसी था और अकेले ही अपने लिए खाने की तलाश में रहता था।

एक दिन, मुन्ना कौआ एक बड़े से पेड़ पर बैठा हुआ था। वह वहाँ से गुजर रहे गांव के बच्चों को देखकर सोचा कि उन्हें कुछ खिलाना चाहिए। लेकिन मुन्ना के पास कुछ भी खाने के लिए नहीं था।

फिर मुन्ना ने अपनी चाल में तबदीली करने का फैसला किया। वह गांव के एक खरगोश के पास गया और उसको यह बताया कि वह एक महान जादूगर है और उसके पास एक बड़ा खजाना है, जो केवल उसकी खरगोश की चाल के साथ ही खुलता है।

खरगोश बहुत ही आलसी था और उसने मुन्ना कौआ की बातों में यकीन किया। वह मुन्ना कौआ को अपने खजाने के पास ले गया और उससे चाल करने की परिक्षा ली।

मुन्ना कौआ ने जबरदस्ती की चाल करने की कोशिश की, लेकिन खरगोश ने उसे पकड़ लिया और उसे खजाने के पास ले गया।

फिर खरगोश ने खजाने का दरवाज़ा खोला, लेकिन वहाँ कुछ भी नहीं था। मुन्ना कौआ बिल्कुल खाली हाथ वापस आया और खरगोश से माफ़ी मांगी।

खरगोश ने मुन्ना कौआ की माफ़ी कबूल की और उसके साथ दोस्ती कर ली। मुन्ना कौआ ने अपनी चालीस चोरी की बजाय दोस्ती की जीत हासिल की।

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि चालाकी से चोरी करने की बजाय दोस्ती करना बेहतर होता है, और दोस्ती हमें अधिक आलसी और बदले के बिना सुखद रिश्तों का आनंद देती है। चतुर कौआ मुन्ना ने अपनी चालकी की बजाय दोस्ती का मार्ग चुना, और इससे उसे अधिक खुशियाँ मिली।

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शेर और चूहा की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक शेर बड़े गर्व से अपने जंगल का राजा बना हुआ था। उसकी दहाड़न बड़ी भयंकर थी और सभी जानवर उसके सामने डर के मारे बैठे थे। शेर का एक दिन जाल लग गया और वह वहां फंस गया।

वह बड़े परेशान हो गया और अपनी बड़ी दहाड़ से कोशिश करता रहा, लेकिन वह उस जाल से बाहर नहीं निकल पाया। फिर वह बहुत थक गया और हार मान लिया।

उसी समय वहां पास में एक छोटा सा चूहा अपने छोटे से दांतों से जाल काटने की कोशिश कर रहा था। शेर ने चूहे की मदद मांगी और वादा किया कि वह कभी भी उसकी मदद करेगा।

चूहा ने दिल से जाल काट दिया और शेर को स्वतंत्रता मिल गई। शेर बहुत खुश हुआ और चूहे का आभारी हो गया।

कुछ दिनों बाद, जंगल में एक दिन एक शिकारी आया और शेर को जाल में फंसाने की कोशिश करने लगा। शेर अब बड़े बाती से चिल्लाया और चूहा उसकी मदद करने आया। चूहे ने शिकारी की पूँछ को काट दिया और शेर फिर से स्वतंत्र हो गया।

इसके बाद, शेर और चूहे अच्छे दोस्त बन गए और साथ में खुशी-खुशी जीते।

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कोई छोटा या बड़ा, सबका दिल बड़ा होता है और मदद करना हमारा दायित्व होता है।

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लालची कुत्ता (ललाच का अंजाम) की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटा सा गाँव था। उस गाँव में एक छोटा सा कुत्ता रहता था। उसका नाम बिल्लू था। बिल्लू बहुत ही लालची था। वह हमेशा खाने की तलाश में रहता था और दूसरों से खाने के लिए कभी-कभी छिपकर चुराकर लेता था।

एक दिन, गाँव में एक बड़ा सा मेला आया। मेले में बहुत सारे लोग आए और वहाँ बहुत सारे खाने के स्टॉल भी लगे थे। बिल्लू ने देखा कि सब लोग मेले में खाने का आनंद ले रहे थे और उसका मुँह भी पानी आ रहा था।

बिल्लू लालच में आकर वह मेले के स्टॉल पर चुराकर खाने लगा। वह अपने लालच की मित्ती में डूबा रहा और खाने का आनंद ले रहा था।

परंतु, बिल्लू ने यह नहीं सोचा कि उसका लालच उसकी परेशानी का कारण बन सकता है। जब वह ज्यादा खाने लगा, तो उसका पेट दर्द करने लगा। उसकी हालत बहुत खराब हो गई और वह मेले के स्टॉल पर बेहोश हो गया।

मेले के लोगों ने बिल्लू को उठाया और उसकी मदद की। उन्होंने उसे पानी पिलाया और दवा दी। बिल्लू ने अपने लालच का पछतावा किया और यह सीखा कि लालच करने से हमेशा अच्छा नहीं होता।

इसके बाद, बिल्लू ने अपने लालच को दूर किया और उसने कभी चोरी नहीं की। वह सीख गया कि सच्चे खुशियों का स्रोत लालच नहीं, बल्कि ईमानदारी और साझेदारी होती है।

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सिखना चाहिए कि लालच करने से हमें हानि होती है और हमें दूसरों का साथ देना और सच्चाई में खुश रहना चाहिए।”

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प्यासा कौआ की कहानी

एक समय की बात है, एक ठंडी और सुनहरी सुबह थी। एक प्यासा कौआ अपने साथी के साथ उड़ रहा था। वह दोनों बहुत प्यासे थे क्योंकि उन्होंने बहुत दिनों से कुछ पी नहीं था।

कौआ ने अपनी परें तलाश करना शुरू किया, लेकिन वह कोई पानी की बदली में पानी नहीं पा सका। उसकी प्यास बढ़ती जा रही थी, और उसे कोई समाधान नहीं मिल रहा था।

तभी कौए का दिमाग एक चमत्कारिक विचार आया। वह ने सोचा, “मैं एक समझदार कौआ हूँ, और मुझे एक अच्छा विचार आया है।” फिर उसने एक बड़ा सा बर्तन खोजा जो जगह-जगह फैला हुआ था।

कौआ ने बर्तन को अपने पास लाया और जब वह उसके अंदर देखा, तो वह देखा कि बर्तन में थोड़ा पानी बचा हुआ था। अब कौआ को एक बड़ा सवाल आया, कैसे वह पानी को पी सकता है?

कौआ ने बर्तन में अपनी दंगली डाली और पानी की सतह पर पाउँड करने लगा। इस तरह से, वह बर्तन के अंदर के पानी को ऊपर लाने में कामयाब रहा। अब वह प्यास बुझा सकता था।

कौआ ने अपने साथी के साथ बर्तन से पानी पीने के बाद बहुत खुश हुआ। उसने यह सिखा कि अगर कोई आपके समस्याओं का समाधान नहीं निकाल सकता, तो आपको अपनी समझदारी और निर्णय का सहारा लेना चाहिए।

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि समस्याओं का समाधान निकालने के लिए हमें सोच-समझकर काम करना चाहिए, और हमारे पास कभी-कभी अनूठे और अद्भुत तरीके हो सकते हैं।


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मेहनत की कमाई कहानी

एक समय की बात है, एक गाँव में एक छोटे से लड़के का नाम रमन था। वह बहुत ही होशियार और मेहनती था। रमन के पास बड़ा सपना था – वह एक दिन अपने माता-पिता को गर्वित करना चाहता था।

एक दिन उसने अपने दोस्त से सुना कि एक पार्टी का आयोजन होने वाला है और वह खेतों में मेहनत करके पैसे कमाना चाहता है। रमन ने अपने पिता से अपनी इच्छा बात दी और उनसे कुछ काम बदलने के लिए पैसे मांगे।

रमन के पिता ने उसे पैसे दिए और उसे समझाया कि यह पैसे उसकी मेहनत की कमाई होगी। रमन ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर खेत में काम किया और पैसे कमाने का सपना पूरा किया।

वह पार्टी में पहुँचा और अपने माता-पिता को गर्वित किया। सब लोगों ने रमन की मेहनत को सराहा और उसकी कहानी को सुनकर इंस्पायर हुए।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मेहनत और संघर्ष से ही हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं। रमन ने अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मेहनत की और उसका सपना साकार हुआ।

इसी तरह हमें भी अपने सपनों की पूर्ति के लिए मेहनत करनी चाहिए और हमें कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।

नैतिक शिक्षा:

मेहनत से ही कमाई होती है, और हमें हमेशा मेहनत करने का साहस रखना चाहिए।

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लोमड़ी और अंगूर की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक छोटी सी लोमड़ी जंगल में घूम रही थी। उसकी पेट को बड़ी भूख लगी थी, और वह भूखी बिल्ली की तरह जंगल में खोज रही थी।

फिर वह एक आम बगी के पास पहुंची, जिसमें सुंदर-सुंदर अंगूर लटक रहे थे। अंगूर लाल-लाल और मिठे-मिठे दिख रहे थे, और उनकी सुगंध लोमड़ी के मन को भटकाने लगी।

लोमड़ी ने उन अंगूरों की ओर बढ़ते हुए कहा, “ये अंगूर तो बहुत ही स्वादिष्ट दिख रहे हैं!

मुझे इन्हें खाने का मन है।”

लोमड़ी ने ऊंचे पेड़ की ओर लटके हुए अंगूर की ओर छलकर कदम बढ़ाया, लेकिन उसके पहुँचने के बाद वह देखा कि अंगूर बहुत ही ऊँचे थे और वह उन्हें हाथ नहीं लगा सकती थी।

लोमड़ी ने बहुत कोशिश की, लेकिन वह अंगूरों तक पहुँचने में असमर्थ थी। फिर वह नाराज होकर अंगूरों की ओर देखते हुए बोली, “ये अंगूर तो बहुत ही अच्छे नहीं हैं!

वे मेरे लिए बहुत ही ऊँचे हैं और मैं इन्हें कैसे खा सकती हूँ।”

लोमड़ी ने अंगूरों को देखकर बातें की, लेकिन जब वह उन्हें पाने में असमर्थ रही, तो उसने उन्हें अच्छा नहीं कहकर छोड़ दिया।

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि कभी-कभी हमारी इच्छाशक्ति जीतने के लिए हमें कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, और हमें असली मेहनत और साहस की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, हमें उन चीजों को नकारने के बजाय उन्हें पूरी ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए, क्योंकि अक्सर वो चीजें हमारे लिए सबसे मीठी होती हैं जो हम पाने में असमर्थ होते हैं।

चींटी और टिड्डा की कहानी

एक समय की बात है, एक छोटी सी चींटी और एक बड़ा सा टिड्डा जंगल में रहते थे। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। चींटी बहुत मेहनती और समझदार थी, जबकि टिड्डा थोड़ा आलसी था।

एक दिन जंगल में बड़ी गर्मी आ गई, और सब जानवर प्यासे हो गए। चींटी ने सोचा, “मुझे और मेरे दोस्त को कुछ पानी मिलना चाहिए।” वह तय कर लिया कि वह पानी के लिए जाएगी।

चींटी ने अपनी छोटी सी बोतल लेकर रास्ता पर निकल दिया। वह बड़े ध्यान से चली, और कुछ समय बाद वह पानी के पास पहुँची। वह बोतल भरकर वापस आई, और सभी को पानी पिलाया।

टिड्डा, जो अपने आराम में सो रहा था, उसने देखा कि चींटी ने बहुत मेहनत करके पानी लाया। वह थोड़ा शरमसार हुआ और चींटी से बोला, “धन्यवाद, चींटी!

तुमने हमारी मदद की।”

चींटी ने हँसते हुए कहा, “कोई बात नहीं, टिड्डा। हम दोस्त हैं, और दोस्ती में सहायता करना ही होता है।”

इसके बाद, टिड्डा ने सीखा कि मेहनत और सहायता करना कितना महत्वपूर्ण है। वह भी अब मेहनती बन गया और चींटी के साथ साथी बनकर रहने लगा।

नैतिक शिक्षा:

एक समय की बात है, एक जंगल में एक खरगोश और एक कछुआ रहते थे। खरगोश बहुत ही तेज था, वह जितनी तेजी से दौड़ सकता था, वह उतनी ही तेजी से दौड़ता रहता था। वह बड़ी गर्मी में भी दौड़ सकता था और बड़ी ठंड में भी दौड़ सकता था।

वह अपनी तेज दौड़ में बहुत गर्व महसूस करता था और बार-बार अपनी तेजी की बढ़ाई करता था। वह बार-बार बोलता, “मैं दुनिया का सबसे तेज जानवर हूँ!”

वहीं, कछुआ बहुत ही धीमा और सावधान था। वह दौड़ने में तो बहुत ही धीमा था, पर वह कभी भी हार नहीं मानता था। वह बार-बार कहता, “सब्र का फल मीठा होता है।”

एक दिन, खरगोश ने कछुआ से मोकदमा दौड़ करने का प्रस्ताव दिया। कछुआ खुशी-खुशी सहमत हो गया।

सुबह हुई और दौड़ का आयोजन हुआ। जैसे ही शुरुआत हुई, खरगोश बहुत ही तेजी से दौड़ने लगा। वह थोड़ी दूर दौड़ने के बाद देखा कि कछुआ कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा था।

खरगोश ने सोचा कि वह इतनी तेजी से कछुआ को पीछा करके जीत सकता है, इसलिए वह थोड़ी देर के लिए आराम कर लिया। वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया और सुन रहा था कि कछुआ कहां है।

कछुआ बड़ी ही धीमी गति से दौड़ रहा था, पर वह लगातार दौड़ रहा था। थोड़ी देर में, कछुआ खरगोश को पीछे छोड़ दिया और दौड़कर समाप्त हो गया।

खरगोश जब आखिरकार पहुँचा, तो वह देखा कि कछुआ पहले ही वहाँ पहुँच चुका था। कछुआ ने जीत हासिल की।

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि मेहनत और सहायता करना हमारे दोस्ती को मजबूत बनाता है, और हमें एक-दूसरे के साथ समय बिताने में अधिक आनंद आता है।

दो बिल्लियाँ और एक बंदर की कहानी

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धीमा और स्थिर रहने का भी अपना महत्व होता है। अकेले तेज दौड़ने से ही कुछ नहीं होता, बल्कि समय-समय पर सोच-समझकर काम करना भी जरूरी है। यह कहानी हमें सब्र और साहस का महत्व सिखाती है।

एक समय की बात है, जब एक गांव में दो प्यारी बिल्लियाँ रहती थीं। उनके नाम बिल्लू और बिल्ली थे। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे।

एक दिन, वे जंगल में घूमने गए। जंगल में उन्हें एक बड़ा सा बंदर मिला। बंदर बहुत ही भोला और मिलनसर था। बिल्लू और बिल्ली ने उसे अपना दोस्त बना लिया।

वे तीनों साथ-साथ बहुत मजे करते थे। वे फल खाते, खेलते, और जंगल में घूमते थे। उनकी दोस्ती बहुत मजेदार थी।

एक दिन, उन तीनों ने एक बड़ा सा पेड़ देखा, जिस पर बहुत सारे मिठे आम लटके थे। उन तीनों ने सोचा कि वे पेड़ पर जाकर आम खाएंगे।

लेकिन वो पेड़ बहुत ऊंचा था, और उनमें से किसी के पास बूढ़ापे में तो सीढ़ियां चढ़ने की सीख थी ही नहीं।

बिल्लू बिल्ली और बंदर ने मिलकर सोचा कि वे मिलकर इस समस्या का समाधान निकालेंगे। उन्होंने एक साथ कई टोकरियां जमाई और उन्हें पेड़ के चारों ओर बांध दिया। इसके बाद, वे सीढ़ियों पर चढ़कर आमों को तोड़ने लगे।

बिल्लू ने ऊपर की ओर बांध निकाली, बिल्ली ने बीच की ओर की ओर बांध निकाली, और बंदर ने नीचे की ओर की ओर बांध निकाली। इस तरीके से उन्होंने सभी आमों को तोड़ दिया और उन्हें खाया।

इसके बाद, तीनों दोस्त खुशी-खुशी वापस अपने गांव की ओर चले गए, और उन्होंने इस अनुभव से यह सिखा कि मिलकर किसी भी मुश्किल को आसानी से हल किया जा सकता है।

इसके बाद से, वे तीनों दोस्त और भी मजबूत हुए और उनकी दोस्ती हमेशा खुशियों से भरी रही।

नैतिक शिक्षा:

यह थी दो बिल्लियों और एक बंदर की मजेदार कहानी, जो हमें यह सिखाती है कि मिलकर काम करने से हर मुश्किल को आसानी से पार किया जा सकता है।

मूर्ख ब्राह्मण की कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक मूर्ख ब्राह्मण रहता था। वह ब्राह्मण बहुत ही अच्छा और नेक आदमी था, लेकिन उसका दिमाग थोड़ा सा धीमा चलता था।

एक दिन, वह अपने गांव के सरपंच के पास गया और बोला, “मुझे बहुत ज़रूरी काम है। मेरे पास एक ख़ज़ाना है जो किसी ख़ास स्थान पर छिपा है। मैं आपको उस स्थान का पता बता सकता हूँ, लेकिन आपको मेरे साथ वहाँ जाना होगा और मेरे साथ ही काम करना होगा।”

सरपंच ने ब्राह्मण से सहमति दी और वह दोनों साथ मिलकर ख़ज़ाने की खोज करने निकले। वे ख़ज़ाने के लिए बहुत दिनों तक खोज करते रहे, लेकिन वे ख़ज़ाना नहीं मिला।

ब्राह्मण ने सोचा, “मैं इस सरपंच को मूर्ख बना सकता हूँ।” फिर उसने ख़ज़ाने की जगह बताई जो बिल्कुल गलत थी। सरपंच ने वही जगह खुदाई करना शुरू किया।

खुदाई के बाद, वे ख़ज़ाना नहीं पाए और ब्राह्मण का धोखा समझ गए। सरपंच ने ब्राह्मण से कहा, “तुमने मुझे मूर्ख बनाया है, लेकिन तुम्हारा धोखा उचित नहीं है।”

नैतिक शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि धोखा देना सही नहीं होता है। हमें हमेशा नेकी और सच्चाई का पालन करना चाहिए।

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The moral of the erection in Hindi is called 'कहानी का सिख' (Kahani Ka Sikh).

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